@NIDHI_SIWACH एक IAS अफसर बनने की SUCCES STORY
सफलता का कोई निश्चित नियम
या सूत्र नहीं होता है / होता है तो सिर्फ एक और वो है खुद पर विश्वास , और अपने
उम्मीद से ज्यादा काम करना /
एक निश्चित सफलता के लिए जो
भी चीजे आपको DISTRACT करती हो, या आपकी और आपके मंजिल के बीच अवरोध बनती हो,
उन्हें छोड़ना पड़े तो छोड़ दो सफलता का एक मात्र यही सूत्र है /
“धनुर्विद्या की
परीक्षा में सभी कौरवो और पांडवों की ऋषि द्रोणाचार्य ने परीक्षा ली / बारी बारी
से सभी को निशाना लगाने के लिए बुलाया / और उन्हें बता भी दिया गया की पेड़ पर एक
चिड़िया की आँख में निशाना लगाना है / जब उनसे पूछा जा रहा था की तुम्हे निशाना
लगाने के लिए क्या दिख रहा है ? तो कोई बोलता की उन्हें पत्ती दिख रही है , तो कोई
बोलता की उन्हें पूरी चिड़िया दिख रही है , तो कोई बोलता की उन्हें तो चिड़िया दिख
ही नहीं रही है , इस प्रकार से सभी शिष्यों ने अपना अपना बयान दिया की आखिर उन्हें
दिख क्या रहा है/ इससे एक बात समझ आती है की उन्हें अब तक ये नहीं मालूम हो पाया
था की आखिर उन्हें निशाना लगाना कहाँ है , उसी जगह पर जब द्रोण ने अर्जुन ने पूछा
की तुम्हे क्या दिख रहा है, तो अर्जुन ने जवाब दिया की उन्हें तो मात्र चिड़िया की
आँख दिख रही है /”
अर्थात जब तक आपके
द्वारा ये न मालूम हो की वास्तव में आपको करना क्या है, और लक्ष्य का पता होने पर
भी आप बार बार भ्रमित हो रहे हों तो सफलता आपको नहीं मिल सकती / यानि सफलता के लिए
आपका फोकस आपके टारगेट पर ही होना चाहिए / इसके अलावा आपको कुछ भी नहीं दिखना
चाहिए / तभी आप सौ प्रतिशत सफल हो सकते हैं /
एक सच्ची कहानी एक IAS के जीवन की
आज के समय में “निधि सिवाच” (NIDHI SIWACH) एक जाना पहचाना नाम है, जो हरियाणा राज्य के गुरुग्राम की रहने वाली हैं / निधि जी की शिक्षा दीक्षा भी
वही से हुई है / जब निधि ने 10वी कक्षा का एग्जाम पास किया ,तो इन्होने अपना लक्ष्य
मैकेनिकल इंजीनियरिग को बनाया / और 12वी की परीक्षा पास करते ही निधि सिवाच ने
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एडिमिशन भी ले लिया / मैकेनिकल इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी
होने के बाद निधि सिवाच को हैदराबाद की एक कंपनी में नौकरी मिल गयी / और वह
हैदराबाद में ही रहने लगी /
अब लगभग लाइफ सेट हो चुकी थी / नौकरी भी शानदार चल रही थी / बचपन में देखा गया
सपना भी उन्होंने साकार कर लिया था / 2 साल तक जॉब भी किया /एक दिन उन्हें ऐसा लगा कि
वह इस जॉब के लिए नहीं बनी है/ उन्हें तो लाइफ में कुछ अलग करना चाहिए / अब बस यही
सोच कर उन्होंने ठान लिया कि उन्हें तो IAS अफसर ही बनना है/ और वो
ऐसा करके जरूर दिखाएंगी /
IAS की तैयारी के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी
कुदरत का एक नियम है कि कुछ पाने के लिए कुछ न कुछ प्रतिदान करना पड़ता है / और
शायद ये निधि सिवाच को बखूबी पता था , इसीलिए अपने अगले टारगेट को पूरा करने के
लिए उन्होंने अपनी नौकरी बलिदान कर दिया अर्थात छोड़ दिया /
2 बार असफल भी हुई
निधि सिवाच अपनी पूरी मेहनत , लगन और शिद्दत के साथ अपनी पूरी पढ़ाई में लग गयी
/ अब उनका एक ही सपना था UPSC EXAM को पास करना वो भी हर हाल में /
UPSC EXAM में निधि सिवाच को दो बार असफलता मिली /इस असफलता के साथ किसी तरह निधि अपने
आपको POSITIVE करने की कोशिस कर रही थी, और फिर से तैयारी के लिए खुद को तैयार कर रही थी /
शादी का प्रस्ताव घर वालों के द्वारा
दो बार की असफलता के बाद घर वालों ने निधि सिवाच को शादी करने के लिए कह दिया
,जिसके लिए निधि तैयार नहीं थी / वो तो पहले IAS बनकर अपने सपनों को पूरा
करना चाहती थी / लेकिन अपनी दो बार की असफलता और शादी के इस प्रस्ताव के बीच निधि
घिर गयी / अंत में परिवार ने कहा की यदि इस बार वह इस एग्जाम को पास नहीं
कर पाती तो उन्हें शादी करनी पड़ेगी /
निधि सिवाच ने इस प्रस्ताव को मान
लिया, और इसके साथ अपने मन में ये भी ठान लिया की ये उसके लिए अंतिम अवसर है , अब
उसके सामने “करो या मरो” की शर्त है / उसे ये बात भली भाँति पता चल चुकी थी कि “अभी नहीं तो कभी नहीं “/ अब उसने ठान लिया उसे हर हाल में UPSC इसी वर्ष पास करना
ही है /
6 महीने के लिए
वैराग्य धारण कर लिया
परिवार ,शादी, व्याह, फंक्शन आदि से निधि ने एकदम दूरी बना
ली / अब वो अपने आपको एक कमरे में पैक कर ली / परिवार से ज्यादा ख़ास मतलब नहीं
रखती थी , क्योकि वह मानती थी कि तैयारी के समय में पारिवारिक बातें उनका ध्यान
भटका सकती हैं / इसी लिए निधि सिवाच ने सोशल मीडिया आदि से भी एकदम दूरी बना ली /
और सिर्फ और सिर्फ अपना पूरा फोकस एक अर्जुन की तरह अपनी पढ़ाई पर लगा दी / अब निधि
के लिए उसकी किताबें ही उसकी दोस्त थी / दिन हो रात बस एक ही जूनून दिमाग में चलता
था की उसे IAS हर हाल में बनना है /
बिना कोचिंग के बनी UPSC टॉपर
इस एग्जाम की तैयारी में निधि सिवाच नें अपने आपको पूर्ण
रूप में समर्पित कर दिया था / और उन्होंने इसकी तैयारी के लिए कोई कोचिंग भी नहीं
की थी / इस प्रकार अंततः मेहनत रंग लाई और तीसरे प्रयास में आल इंडिया रैंक में 83 रैंक हासिल कर ली /
इस प्रकार निधि
सिवाच ने साबित कर दिया कि यदि व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पित हैं ,और
अपना पूरा ध्यान अपने TARGET पर ही रखा है तो उसे जीतने से कोई रोक नहीं
सकता है /
“मंजिल उन्ही को
मिलती है , जिनके सपनों में जान होती है ,पंख से कुछ नहीं होता ,हौसलों से
उड़ानहोती है /”
इस सच्ची घटना से आपको कितनी प्रेरणा मिलती है Comment करके जरूर बताइए / ऐसे ही Motivational , Inspiring Story और Career सम्बन्धी पोस्ट के लिए पेज को जरूर Follow करें /
जय हिन्द //
Every girls must follow her footsteps
जवाब देंहटाएं