NO PAIN , NO GAIN @THE_STORY_OF_BROOKLYN_BRIDGE, एक जिद जिसने कर दिखाया
बिना परेशान हुए , बिना
संघर्ष किए सफलता कभी नहीं मिलती / NO PAIN , NO GAIN .
एक बार सोचकर देखिए , यदि
आप हारकर बैठ गए ,तो जीत स्वयं आकर गले में वरमाला डाल देगी क्या ? नहीं ना !!
हर व्यक्ति सपने देखता है /
हर व्यक्ति चाहता है कि, वह सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचे / हर व्यक्ति की ख्वाहिश
होती है कि, वह अन्य सभी से श्रेष्ठ बने , लेकिन क्या हर व्यक्ति ऐसा कर पाता है ?
ध्यान रखे , जीत की राह में
अड़चने ही अड़चने हैं / जीत की डगर बहुत कठिन है / कई बार ‘हार’ भी झेलनी पड़ती है /
लेकिन जिसने भी इस हार को प्रेम से गले लगाया , लेकिन स्वयं के ‘संकल्प’ पर हावी
नहीं होने दिया , अंततः जीत उसी की होगी /
तो जीतने के लिए जिद तो
करना पड़ेगा /
अपनी योग्यता के अनुसार ही जिद करें ---- जिद का मतलब बच्चों वाली
जिद नहीं है / आपको जिद के व्यवहारिक महत्त्व को समझना होगा / जिद करना , संकल्प
करना , लक्ष्य निर्धारित करना , मन में कुछ विशेष करने की ठान लेना ,ये सब आपकी
चारित्रिक विशेषता को व्यक्त करता है / लेकिन आपके द्वारा लिया गया संकल्प ,आपकी
सामर्थ्य या आपकी योग्यता के अनुसार है या नहीं ये देखना चाहिए /
बहुत सी कहावतें हैं कि “असंभव कुछ भी नहीं” / “इंसान अगर एक बार ठान लें ,तो क्या कुछ नहीं कर
सकता है” आदि सभी सच हैं /
लेकिन कैसे ?
“एक व्यक्ति की चाह अगर
एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई करने की है , तो क्या वो बिना किसी ट्रेनिंग के एवरेस्ट
पर चढ़ जाएगा ? बिना छोटी छोटी पर्वत श्रृंखलाओं पर चढ़ने की आदत और बिना छोटी छोटी
जीत की आदत के एवरेस्ट पर चढ़ना संभव है ? कभी नहीं /”
“इसी प्रकार एक व्यक्ति अगर
बाक्सिंग में विश्व विजेता बनने की जिद कर बैठे , तो उसे पहले क्या करना होगा ?
उसे पहले जिला ,फिर राज्य, फिर राष्ट्रीय स्तर की बाक्सिंग चैम्पियन शिप जीतनी
होगी / सीधे विश्व विजेता से लड़ने की ,न तो उसे अनुमति मिलेगी, और न ही वह ऐसा कर
ही पाएगा /”
अर्थात किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपनी योग्यता में वृद्धि करनी
चाहिए , और उसे एक बार में नहीं बल्कि धीरे धीरे ही की जा सकती है / प्रत्येक
व्यक्ति में सामर्थ्य अकूत है , लेकिन वो सामर्थ्य वृद्धिदर ,आपकी लगन, निष्ठा,
मेहनत, शिक्षा आदि पर निर्भर करती है /
जीत के लिए खुद से वायदा करिए ---
जीत के लिए खुद को एक विजेता के जैसा तैयार भी करना पड़ता है / याद रखिए जब आप
कोई भी संकल्प करते हैं , या स्वयं से जीतने का वायदा करते हैं , तो दूसरा आपका
अवलोकन नहीं करता है / आप स्वयं के ‘वायदाकर्ता’ हैं ,और खुद के ही ‘पर्वेक्षक’
हैं/ इसीलिए जब भी आप कोई संकल्प लें ,तो आप स्वयं के प्रति ईमानदार रहें /
अक्सरतः लोग करते क्या हैं ?
कोई लुभावनी चीज देखा , बिना अपनी योग्यता या सामर्थ्य को देखे / और जब उसमे
कर्म करने का समय आता है, तो हम खुद से ही बहाने बनाने लगते हैं --- जैसे –
आज मौसम ठीक नहीं है , अब कल कर लेंगे ,आज देर से उठा हूँ तो आज कुछ काम तो हो
नहीं पाएगा, ये अब मुझसे नहीं होगा / आदि इस प्रकार के हजारों बहानें खुद से ही
बनाने लगते हैं / जब आप खुद से ही बेईमानी करेंगे तो सफलता कहाँ से मिलेगी ?
एक बात याद रखने योग्य है “आज के युग में जीत निरपेक्ष
नहीं है बल्कि सापेक्ष है /” इन बहानों से जो आप समय को
नष्ट करते हैं, उसी समय का सदुपयोग करके कोई आपसे बेहतर होने की कोशिश में लगा हुआ
है / तो सोचिए जीत किसकी होगी ? आपकी या आपसे बेहतर की /
जीत हमेशा मजबूत इक्षा शक्ति से ही मिलती है –
इतिहास में हजारों ऐसे उदहारण भरे पड़े हैं, जब लोग अपनी मजबूत इक्षा शक्ति के
बल पर असंभव कार्य को भी संभव किया है /
एक मजबूत इक्षा शक्ति की सच्ची कहानी –“बुकलिन ब्रिज “ BROOKLYN BRIDGE
वर्ष 1883 में अमेरिका में एक इंजीनियर “जॉन रैम्बलिंग “ के दिमाग में एक विचार आया / उन्होंने न्यूयार्क और लॉन्ग
आइलैंड को जोड़ने वाला एक विशाल ब्रिज बनाने के बारे में सोचा / इस विचार के बारे
में जॉन रैम्बलिंग नें अपने कुछ मित्र इंजीनियर्स से बात की / तो उन दोस्तों ने
इसके लिए जॉन रैम्बलिग़ का मजाक बनाया, और इस प्रकार की सोच को मूर्खता पूर्ण
बताया, और जाँन को बहुत समझाया कि इस प्रकार का पुल बनाना असंभव है /
जॉन रैम्बलिंग का मन इस बात की गवाही नहीं दे रहा था/ उनकी अंतरात्मा ये कहती
थी कि वे इस ब्रिज को निश्चित रूप से बना सकते हैं / सबके मना करने के बावजूद भी
जॉन नें अपनें पुत्र वाशिंगटन को साथ लिया और ब्रिज के निर्माण की योजना
बनाने में जुट गए /
दोनों पिता पुत्र नें रात दिन एक करके इस ब्रिज के लिए सैकड़ो नक़्शे तैयार किए
, और इस काम में आगे क्या क्या समस्याएँ आ सकती हैं ,उसके समाधान को ढूढते हुए आगे
बढे /
मन में अति उत्साह , जूनून , लगन लिए वे असंभव से लगने वाले काम को संभव करने
में लगे थे / महीनों काम सही चल रहा था / एक दिन अचानक निर्माण स्थल पर एक दुखद
हादसा हो गया, जिसमें जॉन रैम्बलिंग की मृत्यु हो गयी , और इस हादसे में पुत्र
वाशिंगटन के सिर पर इतनी गहरी चोट लगी कि वो चलने फिरने और बात करने के लायक ही
नहीं रहे /
इस हादसे के बाद लोंगों ने भी तमाम प्रकार की ऊँट पटांग बातें करने लगे / किसी
ने भी सकारात्मक बातें कभी नहीं की, और न ही वाशिंगटन की कभी हौसलाफजाई ही की
सिवाय नकारात्मक बातों के /यह सब देखकर दूसरे साथी इंजीनियर्स ने भी अब अपने काम
को समेटना ही उचित समझे /
शरीर काम करने लायक नहीं रह गया था / आवाज चली गयी थी , लेकिन इसके बावजूद
वाशिंगटन हतोत्साहित नहीं हुए /वह अपंग होने के बाद भी दोगुने उत्साह और लगन के
साथ एक बार फिर अपने पिता के सपने को पूरा करने में जुट गए /
अस्पताल में बेड पर लेटे लेटे सोच रहे थे कि वह अपना संदेश अपने इंजीनियर्स
साथियों को कैसे दे / तभी उनके मन में एक विचार कौंध गया / उन्होंने अपनी पत्नी से
अपनी अंगुली की सहायता से संवाद करने का एक तरीका खोज निकाला / और वे अपनी पत्नी
की बांह पर अपनी अँगुलियों से टच करके संकेत करते या बांह पर उंगुलियों से लिखते
और पत्नी इशारा समझकर इंजीनियर्स को बताती कि क्या करना है ? इस प्रकार से काम
शुरू हो गया / वाशिंगटन अपनी अँगुलियों से अपनी पत्नी की बांह पर टच करके सांकेतिक
भाषा में लिखते और पत्नी उन संकेतों को समझकर इंजीनियर्स को बताती / यही क्रम 13 वर्षों तक निरंतर चलता रहा
,और अंततः ब्रिज बनकर तैयार हो गया /
आज वह ब्रिज अमेरिका में ब्रुकलिन ब्रिज (BROOKLYN BRIDGE) के नाम से अपनी विराटता और
कारीगरी के कारण प्रसिद्ध है /
ये सच्ची घटना हमें बहुत कुछ सिखाती है / जिन्हें लोग पागल समझते है वास्तव
में दुनियां बदलने का माद्दा वही रखते हैं / इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है
कि इंसान के अदम्य साहस इक्षाशक्ति और लगन के सामने हर परिस्थिति पराजित हो जाती
है /
इसके साथ यह कहानी एक स्त्री के अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण की कहानी भी
सुनाता है / जो वर्षों तक अपने अपंग पति के संदेशो को अपनी बांह पर लेकर सभी
इंजीनियर्स को बताती रही और 13 वर्षों तक पति के कार्य में पूरी लगन से लगी रही / और अपने
पति के सपनों को पूरा किया /
अब आपको अपने अदम्य साहस से परिचित हो जाना चाहिए, कि आप क्या कर सकते हैं ?
बस जरूरत है स्वयं पर विश्वास की , लगन की ,और एक शसक्त ईमानदार योजना की /
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जय हिन्द //
Inspiring story. Thank You sir.
जवाब देंहटाएंMotivating story
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