शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

शहीदे आज़म ऊधम सिंह :- अंतिम संकल्प जो कर दिखाया

 

शहीदे आज़म ऊधम सिंह :- अंतिम संकल्प जो कर दिखाया  


दोस्तों संकल्प की ताक़त से बहुतों ने ऐसे-ऐसे काम किए हैं, जो देखने में बिलकुल असंभव सा प्रतीत होता है / वास्तव में संकल्प लेने के बाद अगर, आपके अन्दर उसे पूरा करने का जूनून हो तो, परिस्थितयां कोई मायने नहीं रखती हैं , बस आपको अपने संकल्प को पूरा करने के लिए जान की बाजी तक लगाने के लिए तैयार रहना है /

आज हम आपको एक ऐसे ही देशभक्त की कहानी सुनाते हैं , जिसे सुनकर अच्छे अच्छों के रोगटे खड़े हो जाते हैं ,और हर एक देशभक्त भारतीय का सर गर्व से ऊंचा हो जाता है , और श्रद्धा से मस्तक अपने आप उनकी स्मृति में झुक जाता है /

जब देश अंग्रेजों का गुलाम था , तो उस गुलाम भारत में एक अंग्रेज अधिकारी जो की बहुत ही कुख्यात और क्रूर था, शासन करने के लिए भेजा गया था / उसका नाम था डायर / पंजाब राज्य के अमृतसर में उसकी पोस्टिंग हो गयी थी / आते ही उसने एक रालेट एक्ट नाम का क़ानून बना दिया था / उस एक्ट के विरोध में 14 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग़ में एक बड़ी जन सभा हुई थी , जिसमें करीब 25 हजार देशभक्त भारतीय शामिल हुए थे / जलियावाला बाग़ के उस आम जनसभा पर डायर ने चारों तरफ से घेराबंदी करके अंधाधुंध गोलियां चलवाई थी /

                        


दोस्तों जानकारी के लिए आपको बता दें कि, 
15 मिनट में 1650 राउंड गोलियां उस जलियावाला बाग़ में चली थी / अगर कोई दोस्त आर्मी या पुलिस में हो तो वह अच्छे से अंदाजा लगा सकते है कि, चारों तरफ से घेर कर 1650 राउंड गोलियां चलवाने का क्या अभिप्राय हो सकता है / चारों तरफ सिर्फ लाशें ही लाशें दिख रही थी , लोग एक एक करके तड़प तड़प कर मर रहे थे / चारों तरफ कोहराम मचा था ,अपने आपको को बचाने के लिए लोग इधर उधर भाग रहे थे, और गोलियों के शिकार हो रहे थे / तीन हजार से ज्यादा क्रांतिकारी वही शहीद हो गए थे /

अगर आप में कोई जलियावाला बाग़ गया हो तो, आपको जरूर पता होगा कि जलियावाला बाग़ में अन्दर जाने और बाहर निकलने का सिर्फ एक ही दरवाजा है ,और वो भी लगभग से फिट केवल / इसके अलावा पूरा का पूरा जलियावाला चहार दीवारी से घिरा हुआ है / जो एक मात्र दरवाजा है, उस पर डायर ने तोप लगा रखी थी ,कि कोई भी जीवित बच कर भाग न पाए / उस जलियावाला बाग़ में दो कुँए भी हैं , जिन्हें आज अंधे कुँए के रूप में जाना जाता है /

जब 15 मिनट में चारों तरफ से डायर ने ताबड़तोड़ 1650 राउंड गोलियां चलवाई तो जान बचाने के वास्तें बहुत लोग उस कुँए में कूद गए ,और देखते ही देखते पूरा का पूरा कुंआँ लाशों से भर गया , मृत शरीरों से पट गया / गोली चलवाने के बाद  डायर हसतें और खिलखिलाते हुए वहां से चला गया , और इससे भी उसका मन नहीं भरा तो रास्ते में जाते हुए अमृतसर के सडकों के दोनों तरफ जो भी भारतीय दिखता उसे भी भून डालता और तोप के मुहं से रस्सी से बांधकर घसीटता चला गया /

इस काम के लिए उसे अंग्रेजी सरकार की तरफ से ईनाम भी मिला / उसका प्रमोशन हुआ ,पदोन्नति हुई और उसे भारत से लन्दन भेज दिया एक बड़े पद पर /

जब जलियावाला बाग़ हत्याकांड हुआ था, तो लोंगो के बीच में एक व्यक्ति शामिल था जिसका नाम था ऊधम सिंह / उस समय ऊधम सिंह की उम्र लगभग मात्र 11 या 12 साल की हुआ करती थी / चूंकि उस समय वो भी वहां थे, और उस हत्याकांड को अपनी आँखों से देखा था , तो डायर के लिए उनका खून खौल गया था, और उसी क्षण उन्होंने संकल्प ले लिया था कि, जिस डायर ने क्रूरता के साथ मेरे भारत के निरपराध वासियों की हत्या की है, मैं उस डायर को नहीं छोडूंगा / यह मेरे जीवन का आखिरी संकल्प है / और इस असंभव संकल्प को पूरा करने के लिए शहीदे आज़म ने कोई कसर नहीं छोड़ी /

दोस्तों मैंने इस संकल्प को असंभव कहा क्योकि शहीदे आज़म ऊधम सिंह की जो परिस्थिति थी , उसके हिसाब से ये करना असंभव ही था / क्योकि शहीदे आज़म ऊधम सिंह घर से अत्यंत गरीब थे / माता – पिता का साया उनके सर से उठ चुका था ,अनाथ आश्रम में पले बड़े हुए थे / एक बड़े भाई थे , जिनकी किसी बीमारी के कारण मृत्यु हो चुकी थी / अपने परिवार में वो एकदम बिलकुल अकेले रह गए थे / आर्थिक संसाधन के रूप में उनके पास कुछ भी नहीं था / आखिर ऐसा व्यक्ति डायर को कैसे मारता वो भी लन्दन जाकर जिसके पास कुछ था ही नहीं /

लेकिन शहीदे आज़म संकल्प ले चुके थे , भारत माता के इस लाल का रक्त बदला लेने ले लिए उबाल खा रहा था / उन्होंने योजना बनाई कि लन्दन जाना है और लन्दन जाने के लिए पैसे चाहिए / और पैसों का इंतजाम कैसे हो ? तो उन्होंने तय किया कि किसी के सामने हाथ फैलाऊँ ,उससे अच्छा है कि मेहनत मजदूरी करके पैसे कमाऊँ / तो उन्होंने कारपेंटरी यानि बढई गीरी का काम सीखा , और काफी दिनों तक इस काम को करते करते इतना पैसा जमा कर लिए कि वो अमेरिका पहुँच गए ,और अमेरिका से लन्दन पहुँच गए / शहीदे आज़म ने लन्दन पहुँच कर फिर एकबार एक होटल में काम करना शुरू किए ,पानी पिलाने का काम किया / ताकि जो पैसे इकट्ठे हों उनसे बन्दूक या पिस्तौल खरीदी जा सके /

आप सभी को बता दें कि ये सब काम करते करते शहीदे आज़म ऊधम सिंह को 21 साल लग गए / जी हाँ 21 साल / जलियावाला बाग़ हत्याकांड 1919 में हुआ था और शहीदे आज़म ऊधम सिंह ने 1940 में अपना संकल्प पूरा कर पाए थे / दोस्तों 21 साल पैसों के लिए परिश्रम के साथ अपने सम्पूर्ण जीवन को लगाते हुए सिर्फ और सिर्फ अपने संकल्प के लिए जिन्दा थे /

21 साल बाद सन 1940 में लन्दन में एक जगह है किंगसन पैलेस , वहां पर डायर का एक बड़ा कार्यक्रम हो रहा था / उसकों मालाएं पहनाई जा रही थी और उसका सम्मान किया जा रहा था / उस कार्यक्रम में ऊधम सिंह जी भी पहुँच गए थे / और मौक़ा पाते ही अपनी जेब से रिवाल्वर निकालकर ताबड़तोड़ तीन गोलिया डायर को मारी / डायर वही पर मर गया / और डायर को तीन गोलियां मारने के बाद शहीदे आज़म ऊधम सिंह ने सिर्फ एक वाक्य कहा था  आज मैंने 21 साल पहले का मेरा संकल्प पूरा किया है ,और मैं इसके बाद अब एक मिनट भी जिन्दा नहीं रहना चाहता / अब मुझे एक मिनट भी जिन्दा नहीं रहना है/ अब मेरे दिल की इक्षा पूरी हुई है /

इसके बाद उन्होंने एक अंग्रेज अधिकारी को अपना रिवाल्वर सौपा / तो अंग्रेज अधिकारी के हाथ काँप रहे थे कि, कहीं ये मुझे भी न मार दे ? तो ऊधम सिंह जीने कहा घबराओ मत / मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं है / मेरी दुश्मनी तो डायर से थी ,जिसने मेरे देश के हजार लोंगों को मारा था /

क्रांतिकारियों का इतना ऊंचा आदर्श कि जो संकल्प लिया उसी के लिए पूरा जीवन खपा दिया / परिस्थितयां कुछ भी रही हों ,लेकिन जो ठान लिया तो उसी की पूर्ति के लिए क्या 10 साल क्या 15 या 20 साल , बस जीना है तो भारत माता के लिए और मरना है तो उसी के लिए /

जो हाथ में लिया तो पूरा किया , नहीं कर पाए तो शहीद हो गए / और आज उन्ही संकल्पों की बदौलत हम आजाद देश की हवा ले रहे हैं / ऐसे देश भक्त शहीदे आज़म श्री ऊधम सिंह जी को मेरा सत सत नमन /

तो दोस्तों आपको शहीदे आज़म की इस सच्ची दास्तान से क्या सबक मिला और आपको ये कैसी लगी COMMENT BOX में जरूर लिखकर बताइए //

जय हिन्द // 

बुधवार, 28 जुलाई 2021

The Keys Of Success In Hindi, Napoleon Hill

  एक कदम सफलता की ओर  Napoleon Hill 

नेपोलियन हिल एक अमेरिकी लेखक हैं / उन्होंने कई रचनाएं लिखी हैं / उनकी एक पुस्तक THINK & GROW RICH “ बहुत ही प्रसिद्ध है / इस पुस्तक की बहुत सी बातें प्रैक्टिकली हैं और जीवन के लिए बहुत ही कारगर हैं / सक्सेस की दृष्टी से अगर इन बातों को अपने जीवन में प्रत्येक व्यक्ति ढाल ले तो जीवन में निराशा कभी नहीं होगी / तो आइए कुछ बातों को आपसे शेयर करते हैं ......



सही समय कभी नहीं आता ,इसीलिए जीवन में इंतज़ार मत करिए ---

आपके जीवन का एक एक पल कीमती है / आप अपने मन के अनुसार जिस समय का इंतज़ार कर रहे हैं , वो इस जीवन में तो कभी नहीं आने वाला / क्योकि आपके मन के अनुसार किसी काम को करने में व्यवधान न उत्पन्न हो , सारे संसाधन आपके पास पहले से मौजूद हों ,समय परिस्थिति आपके अनुकूल हो , तब आप काम की शुरुवात करेंगे / ऐसा समय आना संभव नहीं है / हथेली की पांच अंगुलियाँ भी एक बराबर नहीं होती हैं / इसीलिए आप अभी से ही तत्काल अपने काम की शुरुवात कर दीजिए / उसके लिए किसी ख़ास समय का इंतज़ार मत कीजिए /

महापंडित रावण के वचन हैं कि शुभस्य शीघ्रम ,अशुभस्य कालहरणं अर्थात शुभ कार्य को जितनी जल्दी हो सके कर डालें, क्योकि शुभ कार्य के परिणाम भी शुभ होतें हैं, और जो समय बीत जाएगा वो दुबारा नहीं आएगा /और बुरे काम को जितना टाल सके टालते रहें, क्योकि इसी में आपकी भलाई है / परिणाम भी वैसे ही होंगे / समय गुजर जाने दें /

दिमाग के बिना पैसा जीवन में खतरनाक होता है ---- 

आप पहले पैसे के पीछे मत भागिए ,बल्कि अपनी स्किल को विकसित करने का प्रसास कीजिए / खुद पर उस लायक बनाने का प्रयास कीजिए /सफलता पाना आसान है , पर उसे कायम रखना मुश्किल है / इसीप्रकार पैसा कमाना आसान है पर उसका उपयोग अगर बुद्धिमानी से न किया जाए ,तो पैसे का आपके पास टिकना मुश्किल हो जाएगा /

तो पहले आप उस जिम्मेदारी को संभालने के लायक खुद को बनाइए , जो जिम्मेदारी आप लेना चाहते हैं , यानि जैसी सफलता आप चाहते हैं /सफलता खुद बखुद आपके पास चली आएगी / और इसके साथ वो कायम भी रहेगी /

संसार में ऐसे बहुत से उदाहरण भरे पड़े हैं / बहुतों के पास बहुत धन होने पर भी , उसका निवेश सही जगह न हो पाने कारण वे लोग निर्धन हो गए / और बहुत लोग ऐसे भी हैं ,पाई पाई जोड़कर करोडपति बन गए / ये कोई भाग्य का खेल नहीं है ,बल्कि आपकी खुद की समझ और स्किल पर निर्भर है /

प्रत्येक कामयाबी और धन की शुरुवात सिर्फ एक विचार की उत्पत्ति का परिणाम होता है ----  

कर्म ही जीवन है इस शब्द से हम सभी परिचित हैं / बिना कर्म किए परिणाम नहीं मिलता है / परन्तु प्रत्येक काम के पीछे एक विचार ,एक कल्पना की शक्ति होती है / एक फल का बीज अंकुरित होता है /उसमें उचित मात्रा में खाद, पानी, हवा, प्रकाश, देने पर वह पौध में बदल जाता है / और वही पौध एक दिन एक बड़ा पेड़ बन जाता है / और अपने से कई गुना फल देता है /

लेकिन इस सब क्रिया के पीछे सर्वप्रथम बीच का अंकुरण ही है / इसीप्रकार किसी भी सफलता के पीछे एक सटीक योजना होती है /और उस योजना के पीछे एक लक्ष्य होता है/ और वो लक्ष्य एक विचार और कल्पना का अंकुरण होता है / इसीलिए सपने देखना जरूरी है / प्रत्येक काम की शुरुवात ही सपने देखने से होती है /

किसी भी योजना ,लक्ष्य या सुझाव को बार बार मन में दोहराने से उसे मन मस्तिष्क में स्थाई किया जा सकता है ---

शाहरुख खान की एक फिल्म का डायलाग है अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिस में लग जाती है/

इतनी शिद्दत से मैंने तुम्हे पाने की कोशिश की है कि हर जर्रे नें मुझे तुमसे मिलाने की साजिश की है /

ये डायलाग ऐसे ही नहीं कहा गया है ,बल्कि एक सच्चाई की तरफ इशारा करती है /आप अपने लक्ष्य को यदि बार बार लिखते हैं ,बार बार पढ़ते हैं , सिर्फ उसी के बारे में सोचते हैं ,तो वो आपके अवचेतन मन में धीरे धीरे फीड हो जाती है / जिसका कनेक्शन प्रकृति से होता है / आपकी क्षमता , आपकी लगन ,आपकी सारी ऊर्जा धीरे धीरे उसी तरफ लगने लगती है, और चमत्कारिक रूप से आपके भीतर और बाहर आपको एक दिन एक जैसा आभास होने लगेगा / और आप जिस चीज में सफलता चाहते हैं , आप सफल भी हो जाते हैं /

कल्पना की शक्ति के द्वारा ही जीवन में आपको अवसर प्राप्त होता है / कल्पना आपके मन का प्रेक्टिकल रूम है , जो आपके मन की शक्ति और ऊर्जा को सफलता और धन में बदल देती है -----

बिना सपने देखे कोई सपने पूरे भी नहीं होते हैं / सपने जीवन का आधार हैं / आज के समय में जो भी वस्तुएं , जो भी आविष्कार हैं ,वो एक कल्पना ,एक सपने देखने की ही उपज हैं /

क पेट्रोल पंप पर काम करने वाला व्यक्ति धीरू भाई अम्बानी मात्र 300 रूपए से सफ़र शरू किए और अपने अंत समय तक तक 75000 करोड़ की सम्पति बना ली थी / 3 व्यक्तियों की टीम और मात्र 43 डॉलर की रकम से शुरू की गयी सहारा ग्रुप आज कहाँ से कहाँ पहुँच गयी / मात्र 80 रूपए से शुरू होने वाली  लिज्जत पापड़ की कंपनी 500 करोड़ से अधिक का सफ़र तय कर चुकी है / ये सब सफलताएं सपने देखने और उसमें पूर्ण रूप से समर्पण का परिणाम है /

जीवन में पैसा ज्यादा और जिम्मेदारी छोटी, शायद ही कभी एक साथ पाए जाते हैं ----   

आपके सपने जितने बड़े होंगे ,आपको उतने ही बड़े प्रयास भी करने होंगे / और जैसा प्रयास होगा वैसी ही सफलता मिलेगी / ज्यादा पैसा कमाना है ,तो ज्यादा जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी / प्रकृति हमेशा हिसाब बराबर रखती है /जैसी आपकी मेहनत होगी वैसा ही आपको परिणाम मिलेगा /

आपकी चाहतें ,अर्थात सपनें और आपके विजन को आप इस प्रकार अपने पास रखे ,और उसकी देखभाल करें जैसे वो आपके बच्चे हों ---  

अपने सपनों और विजन को आप इतना प्यार करो कि वे आपके अपने ही हो जाएं / सपने एक दीपक की लौ की तरह होते हैं / इन्हें बुझने न दीजिए / क्योकि यही सपने आगे चलकर आपके जीवन में रोशनी पैदा करते हैं /

अपनी इक्षाओं को पूरा करने के लिए एक निश्चित प्लान बनाएं , और तुरंत ही इस पर काम करना शुरू कर दें , चाहे आप तैयार हों या न हों ----

सपनों और इक्षाओं को पूरा करने के लिए एक लक्ष्य होना जरूरी है / लक्ष्य को हकीकत में सफलतम बनाने के लिए एक सटीक प्लान बनाना जरूरी होता है / जिस पर आप चलकर अपनी योजना को उपलब्धि में बदल सकें /

एक निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित योजना का होना उतना ही जरूरी है , जितना एक पौधे को बड़ा होने के लिए पानी की जरूरत होती है /

नेपोलियन हिल के इन विचारों से आप सफलता का स्वाद चख सकतें हैं

आपका बड़ा अवसर वहीँ है जहां आप अभी हैं – नेपोलियन हिल

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जय हिन्द //

सोमवार, 26 जुलाई 2021

Arunima Sinha ,The Legend Story In Hindi

संघर्ष , जिद ,संकल्प और मौत से लड़कर जीतने की सच्ची कहानी Arunima Sinha 

सफलता पाने के लिए अक्सर लोग अनेक टिप्स की खोज करते रहते हैं / सफलता के मन्त्र की जानकारी ढूढते रहते हैं / लेकिन जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता अर्जित करने का सबसे अच्छा और शार्ट कट तरीका एकमात्र है कि, जिनकी तरह आप बनना चाहते हैं ,उन्हें अपना गुरु या आदर्श मान लीजिए / और दृढ़ता , विश्वास के साथ इनके पदचिन्हों पर चलिए / आप सफल हो जाएंगे /

लेकिन एक अटल सत्य है , कि आपके अन्दर स्वयं के प्रति आपका विश्वास , आपका जूनून , आपका संकल्प और सकारात्मक सोच ही आपको सफलता दिलाती है /

ऐसी ही एक कहानी प्रथम एवरेस्ट फ़तेह करने वाली पर्वतारोही दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा की है / जिहोने साबित किया कि इंसान शरीर से कैसा भी अपाहिज हो ,लेकिन वह अगर अपने मस्तिष्क से अपाहिज नहीं है और उसके इरादे पक्के हैं ,तो वह कुछ भी कर सकता है /

अरुणिमा सिन्हा का जन्म और शिक्षा ---

अरुणिमा सिन्हा का जन्म 10 जुलाई 1988 को उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर जिले में हुआ था / इनके पिता सेना में लांसनायक थे / अरुणिमा जब चार साल की थी , तभी इनके पिता की मृत्यु हो गयी /

अरुणिमा की प्रारंभिक शिक्षा - दीक्षा गृह जनपद से ही हुई / इन्होने समाजशास्त्र से मास्टर डिग्री हासिल की है / अरुणिमा सिन्हा को खेलों में बहुत रूचि थी / अपने कॉलेज पीरियड से ही बालीवाल को राष्ट्रीय स्तर पर खेला है / इसके साथ ही नेहरु इंस्टिट्यूट ऑफ़ माउंटेनिरिंग से पर्वतारोहण की ट्रेनिंग भी ली है /





कैरियर और संघर्ष की आगे की कहानी ----- 

अपने कैरियर को एक नया आयाम देने के लिए अरुणिमा सिन्हा ने CISF  की पोस्ट के लिए आवेदन किया / 21 अप्रैल 2011 को उसकी परीक्षा के लिए उन्हें लखनऊ से दिल्ली जाना था , तो इन्होने पद्मावती एक्सप्रेस का टिकट कराया ,और ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हो गयी /

रात्रि के करीब एक बजे कुछ बदमाश ट्रेन पर चढ़े और सभी का चेन खीचने लगे / उसी में अरुणिमा का चेन और बैग भी वो लोग लेने लगे / जिसका अरुणिमा ने विरोध किया / जिसके कारण बदमाशो ने इन्हें चलती ट्रेन से नीचे फेक दिया / ट्रेन से जैसे ही ये नीचे गिरी , दूसरे ट्रैक से भी कोई ट्रेन आ रही थी / अपने आपको बचाने में इनका एक पैर ट्रेन के नीचे आ गया और कट गया / रात्रि होने के कारण किसी को इस हादसे के बारे में पता भी नहीं चला / और अरुणिमा ट्रैक पर 7 घंटे पड़ी रही और जिन्दगी और मौत से लड़ती रही / कहते है उसी बीच में लगभग 49 ट्रेनों का आवागमन हुआ था , और अधिकतर ट्रेने इनके पैरो पर से ही गुजरी थी ,जिसके कारण बायाँ पैर अलग हो गया था / कुछ लोगों ने जब इन्हें देखा तो इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया / जहां पर इनके जीवन को बचाने के लिए अरुणिमा का बांया पैर डॉक्टर्स ने कट कर दिया /

अरुणिमा की जान तो किसी तरह बच गयी ,लेकिन इन्हें अपने एक पैर से हाथ धोना पड़ा / और अब एक खिलाड़ी का कैरियर दांव पर लग गया / इनका बालीवाल खेलने का सपना और मौका छिन गया /

अब आल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ़ मेडिकल कॉलेज में इन्हें चार महीने तक भर्ती किया गया था , जहाँ पर इन्हें कृत्रिम पैर लगाया गया था / इस एक्सीडेंट का इनके दिलों दिमाग पर गहरा झटका लगा / कि अब आगे क्या और कैसे किया जाए /

अब इनके सामने दो रास्ते थे / या तो ये जिंदगी से हार मान ले और और इस दुनियां की भीड़ में कहीं गुम हो जाएं , और या तो अपने दर्द को सहते हुए ,इस चैलेन्ज को स्वीकारते हुए कुछ ऐसा कर दिखाए जो आज तलक इतिहास में कभी न हुआ हो /

तब अरुणिमा सिन्हा ने दूसरा रास्ता चुना / जिंदगी और मौत से एक बार तो सामना हो ही चुका था / अब डर कैसा ? गुमनामी के अंधेरों से तो अच्छा है ,कुछ बेहतर करते हुए जीवन को समर्पित कर देना /  

अस्पताल में रहते हुए ऊंचे ऊंचे पहाड़ों पर भारत का झंडा गाड़ने का मन बना लिया / अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अरुणिमा सिन्हा ने भारत की पहली माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुँचने वाली महिला बछेंद्री पाल से मिलने पहुँच गयी / वहां से प्रेरणा लेकर नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाने के इरादे लिए टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन से पर्वतारोहण का दो साल का प्रशिक्षण लिया /

और फिर तमाम अलग अलग पर्वतों की चोटियों पर चढ़ाई करके जीत हासिल करते हुए एवरेस्ट को भी फतह कर लिया /

एवरेस्ट पर चढ़ना एक कृत्रिम पैर के सहारे आसान न था / चढ़ाई के दौरान भी इनके साथ एक घटना घटित हो गयी / इनका कृत्रिम पैर इनके शरीर से अलग हो गया / और इनका आक्सीजन भी ख़त्म हो गया था / लेकिन दिमाग ने एक बार फिर कहा , जीना है और जीत हासिल करनी है / और इन्होने जान जोखिम में डालकर एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी की /

दोस्तों इस प्रकार की MOTIVATIONAL और INPIRING कहानियाँ हम इसलिए नहीं पढ़ते कि इसे पढ़कर मात्र मनोरंजन करना है , बल्कि इसलिए पढ़ते हैं कि हमारे मन के सपने भी बाहर निकल सके / हम भी एक संकल्प लेकर आगे बढ़ सके / तमाम बाधाओं को अपने जिद और विश्वास से तोड़ सके / और अपने हार को भी जीत में बदल सके /

सोचिए ... पैर कट गया , 7 घंटे ट्रैक पर लावारिस पड़ी रही , अपने सामने मौत का तांडव देखती रही , 49 ट्रेने भी गुजर गयी , पर इस बंदी ने हार नहीं मानी /

कृत्रिम पैर के दम पर एवरेस्ट पर चढ़ी /  वहां पर भी मुसीबत ने साथ नहीं छोड़ा / कृत्रिम पैर अलग हो गया , ब्लीडिंग होने लगी , आक्सीजन ख़त्म हो गया पर इसने हार नहीं मानी / मौत से लड़ती रही और जीत भी गयी /

ये कोई भाग्य नहीं ,बल्कि एक संघर्ष , खुद पर विश्वास और मौत सामने होने पर भी उससे दो दो हाथ करने की सच्ची कहानी है /

भाग्य और ईश्वर भी उन्ही का साथ देते हैं , जो अपना साथ खुद देते हैं / हाथों की चंद लकीरें आपकी किस्मत नहीं होती , बल्कि आप अपने साहस और कुछ कर दिखाने की जिद के दम पर इसे बदल सकते हैं /

ये कहानी आपको कैसी लगी ,और आप इससे कितने प्रेरित हुए COMMENTS जरूर करिए /

जय हिन्द //      

  

गुरुवार, 22 जुलाई 2021

How To Control Mind And Remove Unwanted Thoughts In Hindi / मन पर नियंत्रण कैसे करें

 मन पर नियंत्रण कैसे करें ?/ How To Control Mind And Remove Unwanted Thoughts

हमारा मन बहुत ही चंचल होता है / ये हमें एक जगह बैठने नहीं देता है / और सबसे बड़ी बात यह स्वार्थी बहुत होता है / इसे आपके अच्छे बुरे होने से नहीं मतलब , इसे  तो सिर्फ स्वयं की क्षणिक ख़ुशी से मतलब होता है / और अक्सरतः इसकी क्षणिक ख़ुशी के बदले में हमें बहुत परेशानियों को झेलना पड़ता है /

इसीलिए हमें मन पर नियंत्रण कैसे करें .से पहले मन पर नियंत्रण क्यों करें ? जानना होगा /

मन पर नियंत्रण क्यों जरूरी है ?

महाराज युधिष्ठिर से यक्ष ने पूछा था कि सबसे तेज कौन से चीज चलती है ? इस पर युधिष्ठिर ने जवाब दिया था ,मन / यानि दुनियां में मन से कोई भी चीज तेज नहीं चलती है / और जो चीज जितनी तेज चलती हैं , दुर्घटना के चान्सेस भी वही ज्यादा होते हैं /

मन पर अंकुश न किया जाए तो , यह मन आवारों की तरह भटकता है , और हमें तमाम PROBLEMS  में डाल देता है / आज संसार में अपराध के बढ़ने का कारण मन पर नियंत्रण न होना है /

असफलता, अनिद्रा, अप्रसन्नता, तनाव, बीमारी आदि का कारण आज हमारा मन ही है /

असफलता का कारण, मन का भटकाव –

मान लीजिए आप एक विद्यार्थी हैं / आने वाले 10 महीनों बाद आपका EXAM  है / तो आपको क्या करना चाहिए ? समय सारणी के अनुसार नित्य प्रतिदिन मेहनत से पढ़ाई करनी चाहिए / लेकिन आज आपका दोस्त मूवी देखने जा रहा है / उसने आपके पास फ़ोन किया कि वह मूवी देखने जा रहा है / क्या तुम भी चलोगे ? अब आप क्या करेंगे ? वही जो आपका मन कहेगा /अक्सर मन वही सलाह देता है , जो आपके लिए ठीक नहीं होता है / अब आपने सोचा कि चलो मूवी देखकर , लौटकर आएँगे तो पढ़ लेंगे / अब आप भी दोस्त के साथ मूवी देखने चले गए / लौट कर आए तो थक गए थे / फिर सोचा चलो अभी तो EXAMS दस महीने हैं / आज सोते हैं ,कल से पढाई करेंगे / सुबह जल्दी उठ जाएंगे / सुबह जब जल्दी उठना था तो, आपकी नीद तो खुली , लेकिन आपके मन ने कहा कि थोड़ी देर और सो लेते हैं / अब वो थोड़ी देर के चक्कर में आप सूरज के निकलने के बाद उठे / अर्थात देर में उठे /

फिर ये हुआ कि चलों शाम से शुरुवात करते हैं / इस प्रकार धीरे धीरे आपका मन आपके काम को आपसे कल पर टलवाता जा रहा है / और धीरे धीरे समय बीत रहा है / कोई न कोई मस्ती ,मूवी ,यार दोस्त , पार्टी , फ़ोन पर घंटो फालतू की बातें , शादी विवाह , फंक्शन , चैटिंग आदि के कारण आप पढ़ाई के लिए टालमटोल करते गए / और एक दिन EXAMS  सर पर आ गए / अब आप लगे पढ़ने / न खाने की टाइमिंग ,न समय पर नहाना , न समय से सोना , और तो और एक साल के कोर्स को महीने भर में पूरा करने का प्रेशर / और इस आपाधापी में कोर्स भी पूरा नहीं होता / किसी तरह तनाव में EXAM देते हैं / और RESULTS आते हैं ,तो या तो औसत पास मार्का नंबर पाते हैं या तो फेल हो जाते हैं /

जरा सोचिए इतनी सारी चीजे किसके कारण हुई / एकमात्र केवल मन पर नियंत्रण न होने के कारण /

अनिद्रा का कारण ,मन पर नियंत्रण न होना –

रात्रि के 10 बजे तक सभी को सो जाना चाहिए ,और सुबह भोर में उठना चाहिए / लेकिन देर रात तक लगे हैं फ़ोन से बाते करने में  / धीरे धीरे ये रूटीन रोज का हो गया है / एक इंसान को स्वस्थ रहने के लिए 6 से 7 घंटे नीद लेना जरूरी है / रात में देर से सोना और सुबह जल्दी उठने के प्रेशर के कारण अक्सर आज लोग अनिद्रा के शिकार हो रहे हैं / जिसके कारण अवसाद ग्रस्त होना , हाई ब्लड प्रेशर आदि की बीमारियों से लोग ग्रसित हो रहे हैं / कारण सिर्फ मन के वश में आप हैं /

अप्रसन्नता का कारण . मन पर नियंत्रण न होना –

जब आपकी नीद पूरी नहीं होगी , या आप अपने काबिलियत के अनुसार सफलता नहीं पा पा रहें हैं ,तो आप खिंचे खिंचे से रहते हैं / चहरे पर जैसे बारह बजे रहते हैं / ख़ुशी तो चेहरे से एकदम गायब हो जाती है /

बिना मेहनत के सफलता मिलती नहीं है / सफल होने के लिए आत्म अनुशासन जरूरी है / और आपका मन आपको मेहनत करने देता नहीं है / सफलता और मेहनत के बीच तमाम बहानों के रोड़े अटकाता है / और आपका मन आपकी खुशियाँ छीन लेता है /

तनाव या अवसाद का कारण, मन पर नियंत्रण न होना ---

मन पर नियंत्रण न होने के कारण आज लोग प्री जज करने लगते हैं / जो हुआ ही नहीं उसके बारे में नेगेटिव खयालात पहले से ही बुनने लगते हैं / और डर डर के जीने लगते हैं / ओवर थिंकिंग के कारण तनाव ,अवसाद , डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं /

अगर आप कभी ध्यान से सोचेंगे कि आप तनाव में क्यों हैं ? तो अधिकतर केसेज में पता चलेगा कि कारण कुछ नहीं , ओवर थिंकिंग ही होती है /

तमाम बीमारियों का कारण , मन पर नियंत्रण न होना –

आप तनाव ग्रस्त हैं , फेलियर हैं , ओवर थिंकर हैं , रात रात भर नीद नहीं आती तो क्या होगा ? डिप्रेशन की बीमारी , हाई लो बी.पी. की बीमारी आदि की शुरुवात हो जाती है /

सिर्फ एक मन जो हमारे शरीर में रहकर हमें कंट्रोल करता है / इतनी परेशानियाँ खड़ी करता है /

अब जरा सोचिए कि हमारा वास्तविक दुश्मन कौन है ? कोई बाहरी नहीं, बल्कि हमारे भीतर में रहने वाला हमारा ही मन है /

तमाम अपराध का कारण भी मन का नियंत्रण न होना है ---

मन पर नियंत्रण न होने के कारण आज की युवा पीढ़ी बीड़ी ,सिगरेट , शराब , चरस, चोरी आदि तमाम आपराधिक प्रवृतियों में लिप्त हो रही है / औए आए दिन ऐसे केसेज अखबारों  टी. वी., न्यूज़ में देखने को मिल जाते हैं /

इसीलिए दोस्तों एक स्वस्थ ,संपन्न , सुखी , ख़ुशी और सफल जीवन जीने के लिए मन पर नियंत्रण रखना , और नियंत्रित करने की कला को सीखना बहुत जरूरी है /

                 



मन पर नियंत्रण कैसे करें ? -----

दोस्तों हमारा मन बहुत ही चंचल होता है / ये इतनी आसानी से नियंत्रित होने वालों में से नहीं है / लेकिन कुछ अभ्यास के द्वारा इस पर कंट्रोल किया जा सकता है /

भगवान कृष्ण ने मन पर नियंत्रण करने के लिए भगवत गीता में दो उपाय बताए हैं /

अभ्यास के द्वारा ---

दुनियां में असंभव कुछ भी नहीं है , हाँ मुश्किल जरूर है / और अगर मुश्किल है तो संभव है , किया जा सकता है / मन पर पहली बार में नियंत्रण करना आसान नहीं है / मन को वश में करने के लिए हमें अपने मन की नियत और चंचलता को समझना चाहिए / क्योकि मन को वश में करने का मतलब उसके विषयों से खीचकर मन को एक विषय पर केन्द्रित करना होता है / इस क्रिया को आपको प्रतिदिन बार बार करना होगा /

मन को स्थिर और वश में करने के लिए एक शांत स्थान का चुनाव कीजिए, जहां पर आपको कोई DISTURB न करें , DISTRACT न करे / आसन लगाकर ध्यान मुद्रा में बैठ जाइए / रीढ़ सीधी कर लीजिए / अब आप अपने साँसों को धीरे धीरे खीचिए , फिर धीरे धीरे छोडिए / अपना पूरा ध्यान अपनी साँसों को खीचने औए छोडनें पर लगाने का प्रयास कीजिए / ऐसी अवस्था में आपका मन भटकेगा , विचरण करेगा / करने दीजिए / उसे जहां जाना हो जाने दीजिए / आप बस दृढ़ता पूर्वक अपना पूरा ध्यान अपने साँसों पर ही लगाए रखिए / सिर्फ आप अपने मन के भटकाव को एक दर्शक की तरह देखिए , लेकिन आप उसके साथ न जाइए /

अगर आपका मन ज्यादा PROBLEM करे ,तो एक कल्पना कीजिए / आप स्वयं से कहिए कि, मैं एक आत्मा हूँ , मन नहीं हूँ / आप मान लीजिए कि मन आपसे एकदम अलग है / मन को जहाँ भी जाना हो जाए , मुझे तो सिर्फ साँसे गिनना है /

जब बार बार आप स्वयं से अपने मन को अलग करने की कल्पना करेंगे , तो धीरे धीरे आपका मन शांत होने लगेगा / और इसी प्रकार रोज प्रतिदिन 10 मिनट ,20 मिनट .आधे घंटे रेगुलर अभ्यास करने से आपका मन नियंत्रित होने लगेगा / और जब आपका मन आपके वश में होने लगेगा तो आप अपने अच्छे से अच्छे कामों में सफलता हासिल करने लगेंगे /

स्वामी विवेकानंद , डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम , प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी आदि महानतम हस्तियों ने अपने मन पर नियंत्रण करके ही सफलता अर्जित की है /

वैराग्य के द्वारा ---

भगवत गीता में मन पर नियंत्रण का दूसरा उपाय वैराग्य बताया गया है / वैराग्य का अर्थ होता है त्यागना / इसका  अर्थ यह बिलकुल न लगाइए कि घर बार छोड़कर जंगल चले जाना ही वैराग्य है /

जो चीजे आपकी  सफलता में रुकावट हैं , अवरोध हैं ,उसे आपको जरूर ही त्याग देना चाहिए / लेकिन आपका मन उस चीज को त्यागने नहीं देगा / और इस प्रकार से अपने मन की न सुनकर स्वंय की सुनते हैं, और जरूरी चीजे करते हैं / और मन द्वारा लालायित चीज का त्याग करते है तो, इसे वैराग्य कहते हैं /

मान लीजिए शाम को आपको पढ़ने बैठना है / और यह आपके लिए जरूरी भी है / और उसी समय टी वी पर आपके मन पसंद कोई मूवी आ रही है / या आप उसी समय टी वी देखने के शौक़ीन हैं / पर आप टी वी देखना छोड़ना चाहते हैं / टी वी की आवाज आपके कानों में आते ही आपका मन उधर आकर्षित हो रहा है / और आपका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है /

तो आपको अपना ध्यान टी वी से हटाने के लिए कोई दूसरा काम करना पड़ेगा / आप उसी समय बाहर शैर पर जा सकते हैं / अब जब भी टी वी देखने या मूवी देखने का मन करे तो किसी दूसरे काम में अपने मन को लगाकर ध्यान को हटाने की कोशिश करिए / कुछ दिनों बाद टी वी या मूवी देखने की लालसा आपकी धीरे धीरे कम होने लगेगी / और मन शांत होकर आपके अनुसार काम करने लगेगा /

तो दोस्तों आशा करता हूँ ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा , आपके मन नियंत्रण में सहायक सिद्ध होगा / ये आपको कैसे लगा COMMENT BOX में COMMENT जरूर करें / और ऐसे ही कामयाब आर्टिकल , MOTIVATIONAL मोटिवेशनल और इंस्पायरिंग थॉट्स और कहानियों के लिए इस पेज को FOLLOW  कीजिए /

जय हिन्द //     

     

मंगलवार, 20 जुलाई 2021

डर पर कैसे अंकुश लगाए /HOW TO OVERCOME FEAR IN LIFE

 डर पर कैसे अंकुश लगाए / HOW TO OVERCOME FEAR

जरा सोचिए जो आप T.V. देखते हैं , ये किसके दिमाग का आईडिया रहा होगा ? जिस मोबाइल फ़ोन से आप घंटों बात करते हैं , चैटिंग करते हैं ,किसने ऐसी चीजें अपने दिमाग में सोची होंगी बनाने के लिए ? आप चंद घंटों में एक देश से दूसरे देश पहुच जाते है हवाई जहाज से / ये लोहे की मशीन बनाने का किसका IDEA रहा होगा ?

अब जरा फिर से एक पल के लिए इस सब सामानों या उपकरणों के बिना भी इस दुनिया की कल्पना करके देखिए / कैसे लगेगी ये दुनियां ?

दोस्तों मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ ? क्योकि सदियाँ बीत गयी दुनियाँ कहाँ से कहाँ पहुच गयी , लेकिन अगर आज भी किसी से कह दीजिए की बड़ा सोचिए , नयी नयी कल्पनाओं के बारे में विचार किया करिए / या असंभव कुछ भी नहीं है , तो लोग आज भी आपका मजाक उड़ाने लगेंगे ,या आपको पागल या बुद्धू समझने लगेंगे /

क्योकि ऐसे लोग आज भी डरते हैं बड़ा सोचने से ? ऐसे लोग आज भी कूप मंडूप बनें हुए हैं / जिनका सिर्फ एक ही सपना होता है रोज कमाओ और रोज खाओ / इससे ज्यादा उनकी सोच न कभी थी ,और न कभी होगी / और ऐसे ही लोग न कुछ करते हैं और न ही दूसरों को करने देते हैं / बल्कि दुनिया भर के अनुभव बताएंगे जैसे सारी विद्याए इन्ही को पता है /और दुनियां इन्होने ही बनाई है /

अब आइए कुछ लोगों की बातें कर लेते हैं .........

सैमुएल मोर्स ने जब टेलीग्राफ की खोज का ऐलान किया था , तो क्या आपको लगता है की लोगों ने उनका स्वागत किया था , तालियाँ बजाई थी , वाह वाह किया था ? नहीं बिलकुल नहीं / बल्कि लोंगो ने उनका मजाक उड़ाया था /

मार्कोनी ने जब रेडियो बनाया तो लोगों ने क्या किया होगा ? वही जो आज तक किए हैं / मजाक उड़ाना , खिल्ली उडाना ,हंसी उडाना /

थॉमसअल्वा एडिसन के बारे में सभी जानते हैं / उनके जीवन काल में उन्हें भी कभी सम्मान नहीं मिला / जब लोगों से उन्होंने वायदा किया कि मैं एक ऐसा प्रयोग कर रहा हूँ की जिससे सभी लोग रोशनी में नहा लेंगे / तो लोंगो को विश्वास नहीं हुआ / और उन्हें भी नहीं बख्शा /

राईट बन्धु जिन्होंने उड़ने वाली मशीन बनाने में अपना कितना समय गुजार दिया / आपको क्या लगता है लोगों ने क्या कहा होगा ? कि हाँ तो जरूर करके दिखाएगा ! सवाल नहीं उठता दोस्तों / लोंगों ने मजाक ही बनाया / पागल तक कहा /

लेकिन इन तमाम लोंगों ने अपने कान में रुई डाल ली थी / धुन के पक्के थे / और जो चाहा वो कर दिखाया /

दुनियां का काम ही है कहना –

दुनियां , ये लोग किसी को नहीं छोड़ते / राम को नहीं बख्शा , बुध को नहीं छोड़ा / जिस साईं बाबा के मंदिर में आज सोने चांदी हीरे की मालाएँ चढ़ती हैं , उनके जीवित रहते लोग उन्हें दरवाजे से भगा देते थे / तो दोस्त आपको क्या लगता है की ये आपको बख्श देंगे ?

नहीं / लोंगों का काम ही है कहना / वो तब भी कहते थे ,आज भी कहेंगे और आगे भी कहते रहेंगे / आपका काम हैं लोगों की न सुनकर अपने दिल की आवाज सुनना / जो आप सपने देखते हैं ,वो आपका हक़ है उस पर विश्वास करके उसे पूरा करने का दायित्व आपका ही है /अगर आपको जीतना है , सफल होना है , अपने सपनों को सच में पूरा करना चाहतें हैं तो आपको बहरा बनना पड़ेगा / लोगों की बातों को चुपचाप इग्नोर करना पड़ेगा /

एक छोटी सी कहानी ......

एक बार एक स्कूल के बच्चे टूर करने पहाड़ी क्षेत्र में कहीं जा रहे थे /घूमते घूमते सभी बच्चों के दिमाग में आया कि क्यों न सामने वाली ऊंची पहाड़ी पर चढ़ा जाए ?

अब सभी बच्चे बड़े उल्लास और उत्साह के साथ ऊँची पहाड़ी पर चढ़ने लगे / और अभी चढते जा रहे थे / उन बच्चों को पहाड़ी पर चढ़ते देख आस पास के लोग वहां जमा हो गए ,और नजारा देखने लगे / थोड़ी देर बाद उनमें से कुछ लोग कमेंट्स पास करने लगे / तो कुछ लोग जोर जोर से चिल्लाने लगे अरे वो गिरा गिरा / तो कोई कहने लगा की अरे ये बच्चे बहुत दूर नहीं चढ़ पाएंगे / तो कोई कह रहा था कि बस थोड़ी देर में सभी आधे रास्ते से ही वापस आ जाएंगे / और ये सब वो सभी लोग जोर जोर से कह रहे थे और हंस रहे थे /

जिन बच्चों का ध्यान चढ़ाई पर था वो चढ़ते जा रहे थे , और जिन बच्चों के का ध्यान उन लोंगो की बातों में था वे एक एक करके धीरे धीरे वापस आना शुरू हो गए थे / कुछ देर में अधिकतर बच्चे आधे रास्ते से ही थक हार कर वापस आ गए / क्योकि लोगों की बाते उनके हौसलों को पस्त कर रहे थी ,और उनकी ताक़त कमजोर हो रही थी /

तभी लोंगों ने देखा कि एक बच्चा तेजी से पहाड़ी पर चढ़ता चला जा रहा था / जब वह पलट कर देखता कि लोग चिल्ला रहें हैं ,तो वो और तेजी से चढ़ने लगे / अन्ततः वह लड़का पहाड़ी की चोटी पर चढ़ गया /

लोग अवाक रह गए थे / अब जब वह नीचे आया तो लोग बड़े आश्चर्य में थे और उसे चारो तरफ घेर कर खड़े हो गए / और पूछने लगे कि आखिर उसने ऐसा कैसे किया जबकि सभी बच्चे नहीं कर पाए /

तभी उसमें से एक दूसरे बच्चे ने बताया की ये लड़का सुन नहीं सकता है / ये बहरा है / तब लोग स्तब्ध हो गए /

तब इशारे से एक लडके ने उससे पूछा कि बताओ सबको कि तुम पहाड़ी पर कैसे चढ़े /

तब उसने बताया कि जब नीचे लोग जोर जोर से चिल्ला रहे थे , हंस रहे थे तब उनकी ख़ुशी देखकर मुझे लग रहा था कि ये सभी मेरा उत्साह बढ़ा रहे हैं / हौसला बढ़ा रहे हैं / तभी मेरे मन में और जोश आ गया , और मैं पूरे उत्साह के साथ और तेजी से चढ़ने लगा और पहाड़ी पर चढ़ गया /

तो दोस्तों कहानी का सार यही है ,तो जब लोग कहें कि तुमसे नहीं होगा , तब खुद से यही कहो कि ये हमसे ही होगा / जब लोग कहें कि कि तू नहीं कर पाएगा , तब खुद से वायदा कर लो की तुम्ही करके दिखाओगे / सफल होना है तो बहरा बनना पड़ेगा /

डर के आगे जीत है ----

दुनियां में सफल होने का कोई भी शार्ट कट नहीं होता है / आपकी लगन ,आपकी मेहनत ,आपका जूनून और आपकी अच्छी आदतें ही आपको कामयाब बनाती हैं /

लोंगो की बातों का डर , गरीबी का डर , अपने मन की शंका का डर आदि सभी प्रकार के डर अपने मन से एकदम निकाल दीजिए /डर सिर्फ एक वहम होता है / और नेगेटिव वहम ज्यादा दिन पालना ठीक नहीं होता है / क्योकि जिसकी जैसे सोच होती है , वैसे ही उसका भविष्य होता है /

इसीलिए पहले तो ये विश्वास करिए कि आप वो शख्स हैं, जो सब कुछ कर सकते हैं / आप जैसा दुनियां में कोई दूसरा नहीं है / आप स्वंय खुद के सबसे बड़े दोस्त हो / आप जो कुछ भी चाहते हो सब सब हासिल कर सकते हो /क्योकि अनंत ब्रम्हांड की अनंत शक्तियां आप में मौजूद हैं /

जीवन का एकमात्र जो सबसे बड़ा सत्य है वो है मौत/ जो एकदिन सबको आनी है तो डर अब किस चीज का और कैसा डर / जो भी जीवन में आपका समय है उसका भरपूर उपयोग करिए और अपने सपनों को पूरा करने में जी जान लगा दीजिए /

लोंगो का क्या है , वो तो तब भी बोलेंगे जब आप जीत जाएंगे , और तब भी बोलेंगे जब आप हार जाएंगे / इसीलिए बहरे बन जाइए और बड़े सपने देखिए और उसे पूरा कीजिए /

डेल कर्नोगी जो कि अमेरिकी लेखक हैं, इनकी  बेस्टसेलर और हाउ टू विन फ्रेंड्स एंड इन्फ्लुएंस पीपल आज बहुत लोकप्रिय है , इन्होने कहा है .........

  • असफलता को सफलता में बदलो / निराशा और असफलता ,सफलता के राह में आने वाले एक निश्चत रोड़े हैं /
  •  आलोचना ,निंदा और शिकायत कोई भी मूर्ख कर सकता है और ज्यादातर मूर्ख हमेशा यही करते हैं /
  •  पहले आप उत्साहित होने का नाटक करिए , बाद में आप सच में उत्साहित हो जाएंगे /
  •  अगर तुम अपनी जिन्दगी से ऊब चुके हो , तो फिर अपने आपको किसी ऐसे काम में झोक दो ,जो आप वास्तव में दिल से चाहते हो / अब उसी के लिए जिओ और उसी के लिए मरो
    / यकीन मानो तुम वो ख़ुशी पा लोगे , जो तुम्हे लगता था कि कभी तुम्हारी नहीं हो सकती/
  •  पहले कठिन काम पूरे कीजिए ,आसान काम अपने आप पूरे हो जाएंगे /
  • जिस काम को करने में आपको डर लगता है ,उसे जरूर कीजिए और करते रहिए / अपने डर पर विजय पाने का सबसे पक्का और असरदार तरीका यही है /
  •  अपनी मौजूदा स्थिति और स्वंय के लिए अफसोस करना , न केवल अपनी ऊर्जा की बरबादी करना है , बल्कि ये सबसे बुरी आदत है /

 

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जय हिन्द //

 

 

          

 

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