आप बहुत मेहनत करते हैं / दिन भर काम करते हैं / नयी नयी चुनौतियों का सामना करने की लालसा भी है / आगे बढ़ना चाहते हैं ,लेकिन आप असफल हो जाते हैं / आखिर क्यों ??
इस क्यों का जवाब शायद न हो आपके पास / और अगर होगा भी तो वही पुराना जवाब लो अकसर लोग बोलते ही हैं /
मेरे मुकद्दर में है ही है नहीं ये / ये काम मुझसे नहीं होगा / मैं इस काम के लिए बना ही नहीं / वगैरह वगैरह /
अगर आपको सफलता मिलती भी है तो, आपकी प्रतिभा या आपकी योग्यता से बहुत काम , यानि औसतन /
पता है क्यों ? तो आइए एक सर्वे के अनुसार जानते हैं ....
मार्क मैककार्मैक ने अपनी एक किताब जिसका नाम है " WHAT THEY DON'T TEACH YOU AT HARWARD BUSSINESS SCHOOL" में 1979 और 1989 में किए गए एक अध्ययन का जिक्र किया है /
इसके अनुसार 1979 में HARWARD BUSSINESS SCHOOL के M.B.A. पासआउट के छात्रों से पूछा गया कि यहाँ से जाने के बाद आपका क्या प्लान है ? यानि आपके पास करने के लिए कोई लक्ष्य है ? जिसे आप हासिल करना चाहते हैं ?
तो उन छात्रों में 3 प्रतिशत छात्रों ने जवाब दिया कि उनके पास लक्ष्य भी है और उसे हासिल करने के लिए योजना भी , और वे सब स्पष्ट रूप से लिखित /
13 प्रतिशत छात्रों ने जवाब दिया कि हाँ उनके पास भी करने के लिए लक्ष्य है , और योजना भी / लेकिन उसे लिखना वे अनिवार्य नहीं समझते /
और 84 प्रतिशत छात्रों का जवाब था कि अभी गर्मी की छुट्टियां मनाएंगे , उसके बाद सोचेंगे क्या करना है / यानि NO GOAL .
अब दस साल बाद 1989 में उन शोधकर्ताओं ने उन्हीं छात्रों से फिरसे संपर्क किया जो पास होकर दस साल पहले निकले थे / बहुत ही अदभुद परिणाम सामने आया /
वे 13 प्रतिशत छात्र जिनके पास अपना लक्ष्य था और योजनाएं भी थी , वे उन 84 प्रतिशत छात्र जो गर्मी की छुट्टी मनाने में पहले यकीन किए थे , उनसे वो औसतन दो गुना ज्यादा कमा रहे थे / और जिनके पास कोई लक्ष्य नहीं था उनमे अधिकतर अभी भी दर दर भटक रहे थे /
लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तब मालूम पड़ी जब वे उन 3 प्रतिशत छात्रों से मिले जिनके पास अपने लक्ष्य भी थे और प्लान भी थे, वो भी स्पष्ट रूप से लिखित में / वे 3 प्रतिशत छात्र बाकी के 97 प्रतिशत छात्रों से औसतन दस गुना ज्यादा कमाई कर रहे थे / और कोई भी बेरोजगार नहीं था /
देखा जाए तो सभी ने M.B.A. किया था ,लेकिन चूक कहाँ हुई थी ? सिर्फ और सिर्फ स्पष्ट लक्ष्य बनाने और न बनाने में /
अब आपको शायद कुछ हद तक पता चल गया होगा कि, हम गलतियाँ कहाँ करते हैं ?
हमें क्या करना है ये जरूर मालूम होना चाहिए ,वो भी एकदम क्लियर / बाद में किन्तु , परन्तु , लेकिन का सवाल न हो /
उसके बाद एक डायरी में CURRENT DATE के साथ जरूर लिखे /
लेकिन अधिकतर लोग इस फर्क को जानते ही नहीं या लिखने की क्रिया को बकवास समझते हैं /
जबकि अगर हम अपने लक्ष्य को लिख लेते हैं, तो ये जादू जैसा काम करता है / और आप 50 प्रतिशत लड़ाई जीत जाते हैं /
लोग लक्ष्य क्यों नहीं बनाते हैं ? ........
- उन्हें पता ही नहीं होता कि लक्ष्य कैसे तय किए जाते हैं /
- वे असफलता से डरते हैं /
- उन्हें अस्वीकृति से डर लगता है /
- अगर वे न सफल हुए तो लोग क्या कहेंगे / इत्यादि इत्यादि /
सफलता के गारंटीड टिप्स .....
- आप तय करें कि वास्तव में आप क्या करना चाहते हैं / आपकी अपनी स्किल क्या है / इसे अपनी डायरी पर जरूर लिखे /
- अपने लक्ष्य को लिखने के बाद तय करे कि ये आपको कितने समय में अचीव करना करना है / वह तारीख भी लिखे /
- अब प्लानिंग करे कि काम को करना कैसे है / अपने प्लान को लॉन्ग टर्म , मिड टर्म और शार्ट टर्म में बाँट लें /
- अर्थात अपनी प्लानिंग एकदम स्पष्ट होनी चाहिए , कि कब कब क्या क्या करना है /
- साप्ताहिक या मासिक निरिक्षण करते रहें कि अभी तक कितना काम हुआ , कितना बचा , क्या गलत रहा , क्या सही रहा , सभी चीजो पर मंथन करते रहें /
- काम में निरंतरता बनाए रखे , जब तक कि आपको स्पष्ट रूप से सफलता न मिल जाए /
- अगर नियत समय पर वो सफलता नहीं भी मिलती है तो, अवधि को अपने काम के अनुसार आगे बढ़ा सकते हैं , लेकिन ये भी लिखा हुआ होना चाहिए /
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