"जहाँ हार थी वहीं से शुरू हुई जीत – जे .के. रॉलिंग/ हैरी पॉटर "
कई बार जीवन हमें उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है जहाँ आगे अंधेरा ही अंधेरा होता है। हम खुद को पूरी तरह असहाय और असफल महसूस करते हैं। लेकिन, क्या यह सच में अंत होता है? नहीं। इतिहास गवाह है कि सबसे बड़ी जीतें उन्हीं लोगों ने पाई हैं जो सबसे बुरे हालातों से गुज़रे थे।
यह कहानी है एक ऐसी महिला की, जिसने गरीबी, अवसाद और अकेलेपन से लड़ते हुए इतिहास रच दिया। यह कहानी है – "जे .के. रॉलिंग" की, हैरी पॉटर सीरीज़ की लेखिका।
शुरुआत समय – सपनों से भरे दिन और ज़मीनी सच्चाई
जे .के. रॉलिंग (J.K. Rowling) का जन्म 31 जुलाई 1965 को इंग्लैंड में हुआ था। बचपन से ही उन्हें किताबें पढ़ने और कहानियाँ लिखने का शौक था। वो खुद को एक लेखिका के रूप में देखती थीं। लेकिन जिंदगी ने उन्हें वैसा मौका आसानी से नहीं दिया।
किशोरावस्था में ही परिवार में परेशानियाँ शुरू हो गईं। उनकी माँ Multiple Sclerosis नाम की बीमारी से जूझ रही थीं। पिता से संबंध तनावपूर्ण हो गए। पढ़ाई पूरी करके जब उन्होंने जीवन शुरू किया तो, हालात और भी बदतर हो गए।
टूटने की कगार पर – जब कुछ भी बाकी नहीं बचा
रॉलिंग की शादी हुई, लेकिन बहुत जल्दी ही उनका तलाक हो गया। वो एक छोटी सी बच्ची की माँ बनीं और अकेली पड़ गईं। तब उनके पास रहने को घर नहीं, काम नहीं, और पेट भरने तक के पैसे नहीं थे।
वो सरकारी सहायता पर ज़िंदा थीं। हर दिन अवसाद से घिरी रहती थीं, यहाँ तक कि आत्महत्या के विचार तक आने लगे थे।
उन्होंने खुद को “सबसे असफल इंसान” मान लिया था।
उम्मीद की शुरुआत – एक टूटी पेंसिल और पुराना कंप्यूटर
इस बुरे दौर में भी एक चीज़ उनके साथ थी – उनकी कल्पना शक्ति।
वो अपनी बच्ची को सुलाने के बाद कैफ़े में बैठकर हाथ से एक कहानी लिखती थीं – एक छोटे से जादूगर की कहानी – हैरी पॉटर।
रॉलिंग ने अपनी कहानी पूरी की, लेकिन अब एक नई मुश्किल थी – उसे छपवाना।
लगातार निराशा – फिर भी हार नहीं मानी
उन्होंने अपने उपन्यास का पहला ड्राफ्ट 12 पब्लिशिंग हाउस को भेजा। सभी ने एक ही जवाब दिया – “यह नहीं बिकेगा।”
बार-बार नकारे जाने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।
आखिरकार एक छोटे से प्रकाशक Bloomsbury ने एक हजार कॉपियाँ छापने का जोखिम उठाया। और यहीं से कहानी ने करवट ली।
विजय – एक किताब से अरबों की दुनिया तक
"Harry Potter and the Philosopher’s Stone" की पहली कॉपी प्रकाशित हुई और देखते ही देखते किताब की लोकप्रियता आसमान छूने लगी। रॉलिंग की लेखनी ने बच्चों और बड़ों के दिलों में जगह बना ली।
आगे चलकर हैरी पॉटर सीरीज़ की 7 किताबें और 8 फिल्में बनीं। किताबों की 600 करोड़ से भी ज्यादा प्रतियाँ बिकीं, और रॉलिंग बन गईं दुनिया की सबसे अमीर लेखिका।
और आज – जो कभी टूटी थी, अब दुनिया की प्रेरणा है
आज जे .के. रॉलिंग ना सिर्फ एक सफल लेखिका हैं, बल्कि वो महिलाओं, बच्चों और गरीबों के लिए करोड़ों पाउंड दान करती हैं।
उनके जीवन से सीखने योग्य बातें :
“असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।”
जीवन के लिए सबक – युवाओं के लिए अमूल्य सीख
1. हालात कैसे भी हों, अगर सपना है तो रास्ता जरूर मिलेगा।
2. बार-बार की असफलता आपकी काबिलियत तय नहीं करती।
3. जब कोई साथ न हो, तो अपने अंदर की आवाज़ सुनो।
4. कल्पना की शक्ति और आत्मविश्वास – यही असली हथियार है।
5. हर अंधेरे के बाद एक नई सुबह जरूर होती है।
दोस्तों ,अगर जे .के. रॉलिंग जैसी महिला, जो एक वक़्त दो वक़्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही थी, अपने जुनून के दम पर पूरी दुनिया को चौंका सकती है – तो आप क्यों नहीं?
युवाओं को चाहिए कि वे हार मानने से पहले खुद से पूछें – "क्या मेरी कहानी भी किसी को बदल सकती है?"
“खुद पर विश्वास रखो, क्योंकि आपकी सबसे बड़ी ताकत आप खुद हैं।”