बुधवार, 12 मार्च 2025

हाई स्कूल के बाद पॉलिटेक्निक: सही निर्णय या गलत और क्यों?

हाई स्कूल के बाद पॉलिटेक्निक: सही निर्णय या गलत और क्यों?


करियर आधुनिक दुनिया में बहुत विविधतापूर्ण हो गया है; हालाँकि, सही रास्ता चुनना कभी कभी काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हाई स्कूल या कक्षा दस पूरी करने के बाद, छात्र अक्सर एक व्यावसायिक पाठ्यक्रम लेने और 12वीं कक्षा पूरी करने के बीच बेहतर विकल्प पर विचार करते हैं। इस संदर्भ में, पॉलीटेक्निक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह व्यावसायिक पाठ्यक्रम न केवल तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है, बल्कि पर्याप्त नौकरी के अवसरों के रूप में नए दृष्टिकोण भी खोलता है। इस लेख में, मैं हाई स्कूल के बाद पॉलीटेक्निक Undertaking की आवश्यकता और फायदों पर विस्तार से चर्चा करूंगा।

1. पॉलिटेक्निक क्या है?


पॉलिटेक्निक एक डिप्लोमा की पेशकश करने वाली संस्थान है, जो तीन वर्ष में इस डिप्लोमा को पूरा कराती है। इसके अंतर्गत तकनीक एवं व्यवसाय से सम्बंधित कई कोर्स होते हैं, जैसे:

सिविल इंजीनियरिंग

मैकेनिकल इंजीनियरिंग

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

कंप्यूटर साइंस

इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन 

इस पाठ्यक्रम को पूरा करने पर विद्यार्थी दोनों सरकारी एवं प्राइवेट सेक्टर में नौकरी कर सकते है या आगे की पढाई भी जारी रख सकते है।

2. पॉलीटेक्निक में भाग लेने के लाभ


(i) जल्दी कमाई के अवसर


जबकि 12वीं कक्षा पूरी करने वाले छात्रों को स्नातक डिग्री पूरी करने के लिए अक्सर अतिरिक्त तीन साल पढ़ाई करनी पड़ती है, पॉलीटेक्निक के छात्र तीन साल के भीतर नौकरी के लिए तैयार हो जाते हैं।

(ii) तकनीकी कौशल का विकास


पॉलीटेक्निक में पढ़ाई करने वाले छात्र स्पष्ट रूप से परिभाषित तकनीकी कौशल के साथ उद्योग के लिए तैयार होते हैं क्योंकि व्यावहारिक ज्ञान को सिद्धांतात्मक ज्ञान पर प्राथमिकता दी जाती है। यह छात्रों के लिए फायदेमंद है क्योंकि नियोक्ता स्पष्ट कौशल सेट वाले उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं।

(iii) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में अवसर


पॉलीटेक्निक डिप्लोमा वाले स्नातक विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने के योग्य होते हैं जिनमें शामिल हैं:

- रेलवे विभाग

- पीडब्ल्यूडी (लोक कार्य विभाग)

- इलेक्ट्रिकल विभाग

- सरकारी इंजीनियरिंग कंपनियां

इसके अतिरिक्त, कई निजी उद्यम भी प्रतिस्पर्धी वेतन पर डिप्लोमा स्नातकों को नियोजित करते हैं।

कम लागत में बढ़िया करियर ऑप्शन:- 


पॉलिटेक्निक की फीस सामान्य स्नातक कोर्स की तुलना में कम होती है। इस वजह से यह आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प बन जाता है।

आगे की पढ़ाई के विकल्प


पॉलिटेक्निक करने के बाद, अगर छात्र उच्च शिक्षा जारी रखना चाहते हैं, तो वे सीधे बी.टेक (B.Tech) के दूसरे वर्ष में प्रवेश ले सकते हैं। यह उन्हें चार साल की बजाय तीन साल में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने में मदद करता है।

किसे पॉलिटेक्निक करना चाहिए?


वे छात्र जो जल्दी करियर की शुरुआत करना चाहते हैं।

जिन्हें तकनीकी विषयों में गहरी रुचि है।

जो भविष्य में इंजीनियरिंग क्षेत्र में कदम रखना चाहते हैं।

जिनकी आर्थिक स्थिति 12वीं के बाद लंबी पढ़ाई की अनुमति नहीं देती।


पॉलिटेक्निक करने के बाद संभावनाएं


इंजीनियरिंग कंपनियों में नौकरी पाने का अवसर

अपना खुद का बिजनेस या स्टार्टअप शुरू करने की संभावना

सरकारी विभागों में टेक्निशियन या इंजीनियर के पद पर कार्य करने का मौका

B.Tech या अन्य उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़ने का रास्ता


निष्कर्ष


हाई स्कूल के बाद पॉलिटेक्निक एक समझदारी भरा करियर विकल्प हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो तकनीक और व्यावहारिक शिक्षा में रुचि रखते हैं। यह न केवल जल्दी नौकरी पाने में मदद करता है, बल्कि आगे की पढ़ाई के लिए भी दरवाजे खोलता है। यदि आप 10वीं के बाद करियर को लेकर सोच-विचार कर रहे हैं, तो पॉलिटेक्निक आपके लिए एक सही विकल्प हो सकता है।

सोमवार, 3 मार्च 2025

Business Ideas / Inshorts stories / 60 शब्दों में दुनियाँ

 

Inshorts ऐप की सच्ची कहानी: 60 शब्दों में दुनिया

क्या आप Startup करना चाहते हैं? कुछ तो सोचा ही होगा क्या करना है ? कैसे करना है ? कितनी पूंजी लगाएंगे ? अथवा पूंजी कहाँ से आएगी इत्यादि इत्यादि l

लेकिन सबकुछ करने से पहले आप अपने आपसे पूछिए कि क्या आपका business idea उपभोक्ता की समस्याओं को सुलझा सकता है या उपभोक्ता की मूल समस्याओं की जानकारी कर सकता है या उपभोक्ता क्या चाहता है ? अगर इन प्रश्नों का उत्तर आपने पा लिया तो मानो आपका business चल गया l आइए आपको ऐसी ही समस्या से संबंधित एक business idea की real story से अवगत कराते हैं /
आज के आधुनिक समय में जहां सूचनाओं का प्रवाह अधिक है, हर एक पल नए नए आइडियास, नए नए समाचार, सूचनाएं आती रहती हैं l आज के व्यस्ततम लाइफ में समय में सभी सूचनाओं, समाचारों के लिए समय निकालना और उन्हें पढ़ना बहुत कठिन है l लेकिन कहते हैं कि समस्याएं ही आविष्कार की जननी है l कम समय में अधिक सूचनाओं की समस्या को कुछ बंदों ने अवसर के रूप में देखा और एक नए innovation एक नए startup को जन्म दिया l इस समस्या के हल के रूप में “Inshorts App” ने जन्म लिया l मात्र 60 शब्दों में पूरी खबर l  



शुरुआत और नया Idea

तीन दोस्त – अजहर इकबाल और अनुजैन जो दिल्ली आईआईटी के स्टूडेंट्स थे, ने आईआईटी छोड़ कर अपने मित्र दीपित पुरुकायस्थ जो आईआईटी खड़गपुर का था, के साथ मिलकर Inshorts App की शुरुआत सन 2013 में की थी । इस App  को बनाने का मूल उद्देश्य  था, लोगों को कम समय में ही महत्वपूर्ण और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना। पहले तो तीनों दोस्तों ने एक फेसबुक पेज बनाया जिसका नाम रखा News in shorts, जहाँ पर वे समाचारों को संक्षेप में पोस्ट करते थे। इस पेज को लोगों से शानदार प्रतिक्रियाएँ मिली, जिसने उन्हें एक ऐप बनाने के लिए प्रेरित किया।

आगे की कहानी Inshorts App का विकास

इसकी लोकप्रियता देखकर आगे चलकर इस Idea को टी लैब से सहायता मिली, और फ्लिपकार्ट ने इसमे रुचि दिखाई और इसमें निवेश किया साथ ही कुछ अन्य निवेशकों ने भी इस startup मे अपना योगदान दिया l

सन 2015 में,News in shorts” का नाम बदलकर Inshorts कर दिया गया l इसके बाद Inshorts app लॉन्च किया गया l  Inshorts ने टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए अपने ऐप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का उपयोग करना शुरू किया। इससे खबरों को ऑटोमेटिकली क्यूरेट और सारांशित करना संभव हुआ। इसके बाद, ऐप ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की। App को विकसित करने के लिए कई दौर मे फंड भी जुटाए गए साथ ही अब तक 50 लाख से ज्यादा के डाउनलोड भी मिल चुके हैं l अब तो प्रत्येक माह लगभग 1 अरब व्यू भी मिल रहे हैं l आज के समय में टॉप 5 important न्यूज एप में Inshorts App  को गिना जाता है जिसे लोग पसंद करते हैं , इस्तेमाल करते हैं l अब तो Inshorts एप का हिन्दी वर्जन भी शुरू हो चुका है l    

सफलता का सफर

Inshorts की सफलता का जो सबसे बड़ा कारण है वो है उपयोगकर्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखना और उनकी न्यूज संबंधित समस्याओं को सुलझाना था। उनकी समय की बचत करना है l  वर्तमान में, Inshorts के करोड़ों उपयोगकर्ता हैं और यह भारत के सबसे लोकप्रिय न्यूज़ ऐप्स में से एक बन गया है। ऐप ने कई नामी इन्वेस्टर्स से फंडिंग भी प्राप्त की, जिससे इसका विस्तार और मजबूत हुआ।

सीख 

तो Inshorts ऐप की कहानी हमें यह बताती है कि सही आइडिया, मेहनत और टेक्नोलॉजी का सही उपयोग अगर किया जाए तो किए गए प्रयास में सफलता जरूर मिलती है। अगर आपके पास भी एक अनोखा Idea है, नया Innovation हो  तो उसे आजमाने में थोड़ा भी न हिचकिचाएँ।
क्योंकि “आवश्यकता ही आविष्कार” की जननी है l

 

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